- Vijeta Gawdi
आज एक बार फिर से

किसीने ठीक ही कहा है
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है
कामयाबी की थी हमे तालाश
लेकिन इस दौड़ मे कितनों को किया हमने हताश
भूल गए बच्चों को कहानियाँ सुनाना
देर से घर आकर, करते रहे थकान का बहाना
घड़ी भर माता पिता के पास बैठकर नही की बातें
बस पूछ लिया, कैसे हो, ऑफिस जाते जाते
भूल गए अपने साथी के साथ टहलना
कह दिया यारों दोस्तों से फिर कभी मिलना
खो दी हमने वो कीमती यादें
आने वाली पीडी की बुनियादें
लेकिन अब भी नहीं हुई है देर
आया है समय एक बार फिर से फेर
घर पर फुर्सत का है बसेरा
आया है जीवन में एक नया सवेरा
बच्चों के साथ लौट आए बचपन के दिन
माता पिता के साथ यादें ताजा करो पल छिन
अपने साथी के साथ गुनगुनालो कोई पुराना गीत
फिर हँसों दोस्तों की बातों पर जो गई है बीत
आज साथ बैठकर करो ईश्वर से बातें
वो सभाल लेगा, जैसे भी हो हालातें
उसकी कृपा से आज भी नहीं है कोई कमी
ये पृथ्वी उसकी दया से आज भी है थमी
बीत जायेगा यह भी वक़्त, भूल जायेंगे हम ये घड़ियाँ
रह जायेंगी यह यादें ,याद रहेंगी यह नजदीकियां।
Vijeta Gawdi